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Monday, February 14, 2011

बिटिया

बिटिया चन्दन गंध तू शीतल मंद बयार
हो नयन अनुबंध ज्यूँ पावन गंगा धार!

ये गौरैया भी चले बिटिया की सी चाल
देखे डाली फूल की देती झूला डाल!

पंख लगा के उड़ चली तू अपनी ससुराल
बिटिया मेला फिर सजा आ गलबहियां डाल!

बचपन अपना फिर जियूं देखूं तेरे खेल
पग पग बिटिया साथ मैं रख सपनों से मेल !

बेटी काँधे पे बिठा दे बाबुल विस्तार
उड़ना तू आकाश में अपने पंख पसार !

Friday, February 11, 2011

गज़ल(तू है बादशाह )

तू है बादशाह तो हुआ करे
ये दिल तो बस खुदा से दुआ करे

टूटते हैं मिटटी के खिलौने
ले के बच्चे ही खुश हुआ करे

दिन रात भागती फिरती धरती
जाने किसे ढूँढती फिरा करे

कुछ सवाल तेरे कुछ मेरे हैं
कहो कैसे जुबां को सिया करे

शब्दों के जादूगर हैं ऐसे
बातों में हंगामा किया करें

Wednesday, February 2, 2011

सुख दुःख


सुख दुख सिक्के के दो पहलू
ज्यों सुविधा दुविधा जीवन में
कभी अमावस रात घनेरी
लगे कभी पूनम पग फेरी
घटते बढते चंदा पाहुन
ले उतरे डोली ऑंगन मे
सपनों के बुझते अलाव हों
थके हुए सारे चिराग हों
अंधकार हरने को लाए
हम जुगनू अपने ऑंचल में
नीरव में गूँजे गान कहीं
मुखरित होते हैं मौन वहीं
जब निज को ही पहचान लिया
कोयल कूके मन उपवन में