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Sunday, May 16, 2010

पतंग की डोर ज़िन्दगी

हवाओं की संगी सहेली
पतंग की डोर है ज़िन्दगी


लाल पीले नीले गुलाबी
सपनों के पीछे भागती
आसमां में कुलांचे भरती
पतंग की डोर है ज़िन्दगी


इस हाथ से उस हाथ कभी
खींचा किसी ने कभी ढील दी
यूँ ही खींचतान में उलझी
पतंग की डोर है ज़िन्दगी


ज़मीन से जुड़े रहकर भी
ऊचाइयों से बात करती
क़्त की चरखी में लिपटी
पतंग की डोर है ज़िन्दगी

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