Pages

Saturday, May 22, 2010

ग़ज़ल( चाँद तारे रिश्ते ..)

चाँद तारे रिश्ते खुशबू इधर या उधर के देखो
जज्बात दिलों के देखो या गुलाब अधर के देखो

अगर जानना है समंदर की रुसवाइयों का राज़
या तो मछली से पूछो या गहरे उतर के देखो

है बड़े दिनों से कैद तेरे किरदार की खुशबू
बंद मुट्ठी को खोलो जंगलों में बिखर के देखो

ऊँची ये उड़ाने घोसलों से कहीं दूर न कर दे
घर की बेजान चीजों के संग खुद संवर के देखो

है घनी अमावस रात तो कभी चांदनी की बातें
एक नया खेल जग में जादूगर रच कर के देखो

बारिश में भीगी पत्तियों सा जादू कभी जगाओ
कभी सर्दी की धूप सा आँगन में पसर के देखो

बिखरा कोई सामान या फिर खोया कोई रिश्ता
आवारगी में क्या है दरो दीवार घर के देखो

No comments:

Post a Comment

आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर