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Sunday, December 15, 2013

अंजामे मुहब्बत

इस दुनिया में बहती सदा इल्हामे मुहब्बत
है खास वही जिस पे हो अकरामे मुहब्बत 

बंसी की मधुर तान बँधे राधिका मोहन
रचती है महारास यहाँ नामे मुहब्बत

लिख लेते कोई किस्सा या दिलशाद कहानी
'मालूम जो होता हमें अंजामे मुहब्बत'

मासूम कोई तितली नज़र की जरा ठहरी
वो समझे कि भेजा गया पैगामे मुहब्बत

मिट्टी के पियालों में समन्दर की हिलोरें
चढ़ता है नशा पी के यूँ ही जामे मुहब्बत

तल्खी जो सही धूप की होना था गुलाबी
होने लगी है सर्द मगर शामे मुहब्बत

जागीर है यह रूह की सींचो जो लहू से
बहती युगों तक रहती है यह नामे मुहब्बत

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मिसरा ए तरह शायर जनाब  शेख इब्राहीम "जौक" की ग़ज़ल से 

( thanks to Mr.VIVEK GOYAL शब्दों के अर्थ के लिए कर्सर को शब्द पर ले जाते ही हम अर्थ देख पाएंगे यह सुविधा इन्हीं के द्वारा उपलब्ध कराई गयी है जैसे 
महारास=परमानन्द की वह अवस्था जिसमें मैं तू और तू मैं यानि अभेद हो जाते हैं )

11 comments:

  1. लाजवाब ग़ज़ल !वन्दना जी उर्दू शब्दकोष का कोई लिंक आपके पास हो या विवेक जी के पास हो तो प्लीज हमें दें |
    आपका दिया "शब्द खोजो" बहुत अच्छा काम कर रहां है|आपका आभार |
    मेरा mail: kalipadprasad@gmail.com
    Mob:09666981077

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  2. प्रेम ही तो जीवन की असली उर्जा है. अति सुन्दर कृति.

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  3. तल्खी जो सही धूप की होना था गुलाबी
    होने लगी है सर्द मगर शामे मुहब्बत

    ...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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  4. वाह... उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

    नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

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  5. मासूम कोई तितली नज़र की जरा ठहरी
    वो समझे कि भेजा गया पैगामे मुहब्बत ..

    बहुत ही सादगी से कहा शेर ... मज़ा आ गया .. लाजवाब गज़ल ...

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  6. ये अंजामे मोहब्ब्त इतना खूबसूरत है तो कोई क्यों न डूबे इसमें..

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बहुत सुंदर मुहब्बत की दास्तां ....

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर