Pages

Monday, September 30, 2013

ग़ज़ल







हुआ सम्मान नारी का यहाँ नर नाम से पहले

सिया हैं राम से पहले व राधे श्याम से पहले


समेटा है मेरा अस्तित्व धारोंधार  तुमने जब

विशदता मिल गयी जैसे कहीं विश्राम से पहले


खिंची रेखा कोई जब भी बँटे आँगन दुआरे तो

कसक उठती है सोचें हम जरा परिणाम से पहले


ग़ज़ल का जिक्र जब होगा कशिश की बात गर होगी

तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले


बुझा  मत आस का दीपक यकीनन भोर आएगी

अँधेरा है जरा गहरा मगर अनुकाम से पहले


अगर ममता ने बाँधी है परों से डोर कुछ पक्की

यकीनन लौट आयेंगे परिंदे शाम से पहले


विरासत में मिली खुशबू खिले हैं रंग बहुतेरे

छुआ आँचल कहो किसने कि जिक्र-ए-नाम से पहले

                                                -वंदना 



(तरही मिसरा  -   "तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले"  जनाब क़तील शिफाई साहब  की एक ग़ज़ल से )

17 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ,शेयर करने के लिए आपका धन्यबाद।

    ReplyDelete
  2. इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-01/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -14 पर.
    आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा

    ReplyDelete
  3. सुन्दर प्रस्तुति-

    ReplyDelete
  4. सुंदर भाव, शुभकामनाये

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर गजल..

    ReplyDelete
  6. प्रभावी..... बेहतरीन पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब ... लाजवाब शेर हैं इस तरही में सभी ... दिल को छूते हुए ...

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सुन्दर गजल...
    :-)

    ReplyDelete
  9. बड़ी प्यारी ग़ज़ल लिखी है वंदना ..
    बधाई !

    ReplyDelete
  10. dil ko chhu liya aapke jazal ne vandna jee ....

    ReplyDelete
  11. बहुत भावपूर्ण उम्दा ग़ज़ल...

    ReplyDelete
  12. उम्दा गजल
    सार्थक अभिव्यक्ति
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete

आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर