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Saturday, March 16, 2013

रोकना ही होगा ....


कल फेसबुक पर  एक विडियो देखा जिसमे एक महिला वेस्टर्न स्टाइल में डांस कर रही थी | डांस करते वक़्त उसके सिर से पल्लू अगर सरक जाता तो वह तुरंत उसे संभाल रही थी | इस स्थिति में उसे देख कर मुंह से वाह ही निकल रही थी | कमेंट्स की संख्या सैकड़ों में थी लेकिन कुछ कमेंट्स में उसे बार डांसर बताया जा रहा था तो कुछ में आह भरते ,पेल्विक थ्रस्ट को केन्द्रित करते बेहूदे कमेंट्स भी थे  | अब सोचने की  बात यह थी कि विडियो क्या उस महिला ने इन ( ?!!) लोगों को अपनी कला दिखाने के लिए डाला होगा मुझे तो ऐसा नहीं लगा कि सस्ती!!! लोकप्रियता के लिए उसने इसे डाला होगा क्योंकि डांस किसी घरेलू फंक्शन में किया जा रहा था वार फेर करती महिलाओं को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता था  |

प्राय: शादी ब्याह में लोग संगीत के कार्यक्रम में नाचते ही है,वे भी जिन्हें नाचना आता है और जिन्हें नहीं आता वे भी | बारात में पुरुषों के डांस को मस्ती नाम दिया जाता है लेकिन महिला के इस डांस को मस्ती नहीं बार डांसर जैसा उपमान दिया गया | चलिए मान लेते है कि कमेंट करने वालों का महिला से कोई रिश्ता नहीं था पर क्या उनके कमेंट्स उनकी कुत्सित मानसिकता बयां नहीं करते? क्या उस महिला का अपना फॅमिली फंक्शन एन्जॉय करना इतना बड़ा गुनाह हो गया ? क्या यहाँ उस शख्स का कोई दोष नहीं जो इसके प्रसारण के साथसाथ भद्दे कमेंट्स को भी प्रसारित कर एन्जॉय कर रहा था और बड़ी सादगी से टाइटल में महिला की कला की तारीफ़ कर रहा था  |  यहाँ कहीं न कहीं संस्कारों की कमी है और जब बोये पेड़ बबूल का तो ....यहाँ तो माँ के द्वारा दी गयी शिक्षा की ही कमी कही जायेगी  |    इन लोगों  की मानसिकता को स्त्री विमर्ष (विमर्श नहीं ) के माध्यम से तो शायद नहीं बदल सकते क्योंकि लेकिन विमर्श के ( जी विमर्श ) के माध्यम से इन की सोच पर लगातार चोट करते हुए सही आकार देने के प्रयास को जारी रखना ही होगा ताकि नेट पर अनुचित प्रसारण के कारण किसी महिला को आत्महत्या जैसा कदम न उठाना न पड़े  |  और ऐसे किसी प्रसारण को अमान्य कर रोकना ही होगा |

15 comments:

  1. इस ओर ध्यान गया था वंदना जी और यही विचार मन में कौंधे थे .... सहमत हूँ....

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  2. सही कह रहीं हैं आप .....बहुत मन खराब हुआ था इसे देखकर .....बिलकुल सहमत हूँ आप से ....!!

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  3. आपसे पूरी तरह सहमत ...

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  4. पूरी तरह से सहमत हूँ,ऐसा हो रहा है.

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  5. आपसे पूरी तरह सहमत हूँ,इसीलिए मै फेस बुक ज्यादा पसंद नही करता,,,
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  6. बात तो सही कह रही हैं आप ....

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  7. सही कहा आपने, मानसिक प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है यह चिन्ता का विषय है।

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  8. ओछी मानसिकता खुद अपनी पहचान बता देती है.. सब समझ तो जाते ही हैं..पर बेशर्मी को कया कहा जाए ?

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  9. संसद में रेप बिल पर चर्चा के दौरान शरद यादव जैसे वरिष्ठ नेता जब कहते हैं कि यदि लड़के पीछा नहीं करेंगे तो प्यार कैसे होगा तो वस्तुतः वह इस समाज की मानसिकता को ही तो प्रतिबिंबित करते हैं। आज इंटरनेट इस जैसी बेहूदिगियों से पटा पड़ा है। अपनी कुत्सित मानसिकता को छलकने देने का यह सबसे सस्ता और आसान माध्यम है जहां मां बाप की पहुंच नहीं है। अगर मां बाप इस पर नजर रखें तो शायद उन्हें पता चल जाए कि उनके माटी के लाल किस रंग में रंगे हुए हैं। लेकिन मां बा पके फुर्सत कहां उन्होंने तो लड़कों को छोड़ दिया है छुट्टा सांड़ की तरह कहीं भी मुंह और सींग मारने के लिए। यही वास्तविकता है। वो तो चुनौती दे रहे हैं कि आपमें दम हो तो रोक के दिखाओ।

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  10. सहमत हूं आपकी बात से .. औए मानता हूं ऐसे वीडियो सोशल साईट पे तो बिलकुल नहीं डालने चाहियें ... किसी को भी ...

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  11. मैंने वीडियो तो नहीं देखा है ...मगर ये बात सच है कि अक्सर लोग दूसरों पर कीचड़ उछालने में कोई परहेज़ नहीं करते और इसी लिए भविष्य के प्रति आशंकित हूँ ...जिस समाज का निम्न हम कर रहे हैं ...क्या वो सभ्य-जनों के रहने लायक रह पायेगा ?

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  12. vichar ko shabdo ne bhut badiya sath diya hai -Ati utam-***

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर