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Thursday, March 7, 2013

स्पंदित है मन......

जलने से भी उजाला नहीं है
पलकें अपनी भिगोना नहीं है

बाँधे जो पंख पंछी सुकोमल
कारागृह वो घरौंदा नहीं है

ना ही ससुराल ना ठौर पीहर
दहलीज कहीं ठिकाना नहीं है

साँसे नित छंद नया रचतीं हैं
ऋण मात्र तुझे चुकाना नहीं है

बंदिश कोई बदलकर लिखेंगे
सुर गम का गुनगुनाना नहीं है

डोली से शेष अर्थी ठिकाना
बेटी को यह सिखाना नहीं है

नदिया ने कब गिने पाँव छाले
हो सिन्धु उत्सुक भरोसा नहीं है

अंचल में बाँध गीता चली चल
जीवन परवश बिताना नहीं है

धरती है वह खिलौना नहीं है
स्पंदित है मन बिछौना नहीं है 

19 comments:

  1. aap ne man ko hi nahi mastisk ko bhi spandanit kr diya gahan sanubhution se man ko tar batar kr diya,khoobshurat prastuti, New Posts-lipt kar...aur nav vama mrignayni si

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  2. सशक्त अभिव्यक्ति ....

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  3. शब्द नहीं है.. कितने ही भावों को ऐसे समेट लिया है आपने कि बस ... निशब्द..निशब्द...निशब्द...

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  4. बेहद भावमय करते शब्‍द ...

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  5. बहुत उम्दा,,निशब्द करती भावपूर्ण रचना,,,,

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

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  6. डोली से शेष अर्थी ठिकाना
    बेटी को यह सिखाना नहीं है

    ...बिल्कुल सही...बहुत प्रभावी रचना...

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  7. डोली से शेष अर्थी ठिकाना
    बेटी को यह सिखाना नहीं है

    सुंदर संकल्प
    प्रभावशाली रचना
    आभार !

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  8. डोली से शेष अर्थी ठिकाना
    बेटी को यह सिखाना नहीं है

    कभी यही सीख हमें भी दी गई थी
    आज आपने याद दिला दी .....

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  9. डोली से शेष अर्थी ठिकाना
    बेटी को यह सिखाना नहीं है

    कभी यही सीख हमें भी दी गई थी
    आज आपने याद दिला दी .....

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  10. बहुत ही बढ़िया..... सशक्त रचना

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  11. सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,

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  12. डोली से शेष अर्थी ठिकाना
    बेटी को यह सिखाना नहीं है...

    बिलकुल ... अब वो ज़माना गया जब बेटी को गाय समझ कर किसी भी खूंटे पे बाँध दिया ...
    सार्थक प्रस्तुति ...

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  13. अंचल में बाँध गीता चली चल
    जीवन परवश बिताना नहीं है
    - कर्म का संदेश ग्रहण कर लिया आपने तो,अब काहे की परवशता!

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  14. यह रचना सोंचने पर मजबूर करती है ..
    मंगल कामनाएं आपके लिए !

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  15. वाह ...
    शुभकामनायें आपको !

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  16. अंचल में बाँध गीता चली चल
    जीवन परवश बिताना नहीं है
    बहुत सुन्दर! अप्रतिम! मेरी बधाई स्वीकारें!

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर