याद आती है
छवि तुम्हारी
द्रुतगति से
काम में तल्लीन
कहीं नीला शांत रंग
कहीं उल्लसित गेरू से पुती
दीवारें कच्ची
माटी के आँगन पर उभरती
तुम्हारी उँगलियों की छाप थी
या कि रहस्यमयी नियति की
तस्वीर सच्ची
तुम नहीं थी
आज की नारी जैसी
जो बदलती है करवटें रात भर
और नहीं चाहती
परम्परा के बोझ तले
साँसें दबी घुटी सी
पर चाहती है गोद में बेटा
सिर्फ बेटा
और बेटे से आस पुरानी सी
मैं सुनता हूँ उसकी सिसकती साँसे
विविध रंगों के बीच
मुरझाए चेहरों की कहानी कहती
दीवार पर लटकी
किसी महंगी तस्वीर सी
और उधर मैं
फोन के एक सिरे पर
झेलता हूँ त्रासदी
तेरी गोद में
छुप जाने को बैचैन
नहीं कमा पाया मनचाहा
ना ही कर पाया हूँ मनचीती
लौटना चाहता हूँ
तेरे आँचल की छाँव में
डरता हूँ
अगले कदम की फिसलन से
प्रतिनायक बना खड़ा है
मेरा व्यक्तित्व
मेरी प्रतिच्छवि बनकर
क्या सचमुच
मैं यही होना चाहता था
जो आज हूँ
पर सच है
मैं लौटना चाहता हूँ !
मैं लौटना चाहता हूँ !!
लौटना चाहता हूँ !!!
शसक्त रचना , हृदय की आवाज को सुनती व सुनाती हुयी , भावपूर्ण प्रस्तुति ...
ReplyDeleteपहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा ...... शुभकामनायें
ReplyDeleteआज 25- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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sundar shabd aur undar bhav....
ReplyDeleteper chahti hai god mein beta..sirf beta..aur bete se aas purani si..sundar bhavmayi rachna..dil ko choo leti hai
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता।
ReplyDeleteसादर
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कल 26/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
bhaut hi sunder rachna...
ReplyDeleteप्रशंसनीय रचना.....सुन्दर
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
सुंदर भाव...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से लौटने की बात लिखी है ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletebahut hi bhawmayi khwahish lautne kee .... kisi panchi kee tarah
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसुन्दर /उत्कृष्ट और सराहनीय कविता बधाई और शुभकामनायें |
ReplyDeleteसुन्दर,भावपूर्ण अनुपम अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमार्मिक और हृदयस्पर्शी भाव दिल को छूते हैं.
शानदार प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
Maa ko samarpit bahut hi sundar rachna ke liye aabhar!
ReplyDeleteआपको शुभकामनायें .
ReplyDeleteवंदना जी ,
ReplyDeleteआपकी ये रचना अच्छी लगी इसे टिप्स हिंदी में ब्लॉग के "काव्य मंच" के पेज़ पर पेस्ट किया गया है | यदि आपको कोई एतराज हो कृपया मुझे सूचित जरूर करें |