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Thursday, June 9, 2011

आम आदमी

वह चलता है

सड़क पर

सदा नियम से

बायीं ओर

अक्सर ठेल दिया जाता है

अनियंत्रित ओवेरटेक करते

वाहनों के द्वारा

त्रस्त है अतिक्रमण से

हाशिए पर रेंगता आदमी

संभलता सरकता

जीता है

कनागत के कौवे की तरह

चुनाव के बाद

आम आदमी

8 comments:

  1. अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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  2. कनागत के कौवे की तरह

    चुनाव के बाद

    आम आदमी

    क्या बिम्ब दिया है ..बहुत सटीक ..

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  3. .आम आदमी का सुंदर चित्रण .....

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  4. बहुत उम्दा कविता बधाई वंदना जी

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  5. सटीक .. आम आदमी हाशिये पर ही रखा गया है

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  6. बहुत सुंदर कविता वन्दना जी बधाई |

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  7. प्रखर अभियक्ति को आपके ब्लॉग पर आज पढ़ कर पाया ,कथ्य & शब्द संयोजन सुंदर हैं , बधाईयाँ जी ./

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर