स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
अर्थ की तलाश मेंभटकते रह करकिरकिरे अस्तित्व कारेगिस्तान हो जानामायने रखता है !पढ़ कर बस मुँह से निकला वाह ... बहुत सुन्दर
bahut hi achhi rachna
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marmik bodhgamy srijan ..bahut kuchh kahata ---sadhuvad ji .
aakhir ki 5 panktiyaan sabhi kuch keh gayi!bahdai
bahut acchi rachna hai....
वाह बेहद प्रभावी रचना है.
किरकिरे अस्तित्व का रेगिस्तान हो जाना मायने रखता है ...वाह !
बहुत सार्थक लेखन
आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर
अर्थ की तलाश में
ReplyDeleteभटकते रह कर
किरकिरे अस्तित्व का
रेगिस्तान हो जाना
मायने रखता है !
पढ़ कर बस मुँह से निकला वाह ... बहुत सुन्दर
bahut hi achhi rachna
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ReplyDeletemarmik bodhgamy srijan ..bahut kuchh kahata ---
ReplyDeletesadhuvad ji .
aakhir ki 5 panktiyaan sabhi kuch keh gayi!
ReplyDeletebahdai
bahut acchi rachna hai....
ReplyDeleteवाह बेहद प्रभावी रचना है.
ReplyDeleteकिरकिरे अस्तित्व का रेगिस्तान हो जाना मायने रखता है ...
ReplyDeleteवाह !
बहुत सार्थक लेखन
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