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Friday, July 19, 2019

चाह



अगले जनम भी
कतई नहीं बनना
मुझे अमरबेल
न लाजवंती
न सूरजमुखी
कतई नहीं
हां बनना है
कोई पौधा
चाहे कास का
या फिर हरी दूब
हथेली पर ठहरी हुई
शबनम लिए

_वंदना

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