सुन्दर । अमीर खुसरो की कह मुकरियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं । पिताजी हमें बहुत सारी मुकरियाँ सुनाया करते थे । उनमें से कुछ यहाँ हैं--- 1 रात समय वह मेरे आवे भोर भये वह घर उठि जावे यह अचरज है सबसे न्यारा ऐ सखि साजन? ना सखि तारा! 2 ऊंची अटारी पलंग बिछायो मैं सोई मेरे सिर पर आयो खुल गई अंखियां भयी आनंद ऐ सखि साजन? ना सखि चांद! 3 जब माँगू तब जल भरि लावे मेरे मन की तपन बुझावे मन का भारी तन का छोटा ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा 4 वो आवै तो शादी होय उस बिन दूजा और न कोय मीठे लागें वा के बोल ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!
सुन्दर । अमीर खुसरो की कह मुकरियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं । पिताजी हमें बहुत सारी मुकरियाँ सुनाया करते थे । उनमें से कुछ यहाँ हैं--- 1 रात समय वह मेरे आवे भोर भये वह घर उठि जावे यह अचरज है सबसे न्यारा ऐ सखि साजन? ना सखि तारा! 2 ऊंची अटारी पलंग बिछायो मैं सोई मेरे सिर पर आयो खुल गई अंखियां भयी आनंद ऐ सखि साजन? ना सखि चांद! 3 जब माँगू तब जल भरि लावे मेरे मन की तपन बुझावे मन का भारी तन का छोटा ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा 4 वो आवै तो शादी होय उस बिन दूजा और न कोय मीठे लागें वा के बोल ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteमन किया कि बस दो??? और पढने को जी चाहा..
:-)
होली की शुभकामनाएं...
सस्नेह
अनु
अति सुंदर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteसपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
मस्त ... पढते ही जाओ जैसे ...
ReplyDeleteआपको और परिवार में सभी को होली कि हार्दिक बधाई ...
बहुत सुंदर.... होली की शुभकामनाएं ....
ReplyDeleteवाह .......... बहुत खूब
ReplyDeleteहोली की अनंत शुभकामनाएं
बहुत खूब..होली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteसुन्दर । अमीर खुसरो की कह मुकरियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं । पिताजी हमें बहुत सारी मुकरियाँ सुनाया करते थे । उनमें से कुछ यहाँ हैं---
ReplyDelete1
रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा!
2
ऊंची अटारी पलंग बिछायो
मैं सोई मेरे सिर पर आयो
खुल गई अंखियां भयी आनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चांद!
3
जब माँगू तब जल भरि लावे
मेरे मन की तपन बुझावे
मन का भारी तन का छोटा
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा
4
वो आवै तो शादी होय
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागें वा के बोल
ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!
८
सुन्दर । अमीर खुसरो की कह मुकरियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं । पिताजी हमें बहुत सारी मुकरियाँ सुनाया करते थे । उनमें से कुछ यहाँ हैं---
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रात समय वह मेरे आवे
भोर भये वह घर उठि जावे
यह अचरज है सबसे न्यारा
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा!
2
ऊंची अटारी पलंग बिछायो
मैं सोई मेरे सिर पर आयो
खुल गई अंखियां भयी आनंद
ऐ सखि साजन? ना सखि चांद!
3
जब माँगू तब जल भरि लावे
मेरे मन की तपन बुझावे
मन का भारी तन का छोटा
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा
4
वो आवै तो शादी होय
उस बिन दूजा और न कोय
मीठे लागें वा के बोल
ऐ सखि साजन? ना सखि ढोल!
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बहुत बढिया...
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया ......मुकरियों के विषय में नई जानकारी मिली ॥आभार
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