स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र भी बहुत प्यारा है.
सुन्दर मुक्तक ,भाव भी सुन्दर !मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
वाह.....क्या खूब कहा!!!सस्नेहअनु
अजी ,वाह!वाह!वाह!
वाह....सुन्दर मुक्तक सुन्दर भाव
बहुत सुन्दर....
बहुत सुन्दर लिखा है आपने |वंदना जी आभार
आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर
सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र भी बहुत प्यारा है.
ReplyDeleteसुन्दर मुक्तक ,भाव भी सुन्दर !
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट बोलती तस्वीरें !
वाह.....
ReplyDeleteक्या खूब कहा!!!
सस्नेह
अनु
अजी ,वाह!वाह!वाह!
ReplyDeleteवाह....सुन्दर मुक्तक सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है आपने |वंदना जी आभार
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