स्वरचित रचनाएं..... भाव सजाऊं तो छंद रूठ जाते हैं छंद मनाऊं तो भाव छूट जाते हैं यूँ अनगढ़ अनुभव कहते सुनते अल्हड झरने फूट जाते हैं -वन्दना
khoobshurat prastuti,"khwabon ki murat ho, khayalon ki surat ho,
वाह वंदना जी....बेहतरीन ग़ज़ल......उम्दा शेरों से सजी.अनु
सार्गभित, प्रशंसनिये.बेहतरीन रचना, आभार
सार्गभित सुन्दर रचना..
बहुत सुन्दर ग़ज़ल वंदना जी latest post केदारनाथ में प्रलय (२)
बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल ,बधाई वन्दना जी,,,RECENT POST ....: नीयत बदल गई.
बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....
खूब..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
बहुत खूब ... नए अंदाज़ के शेर हैं सभी ... लाजवाब ..
नयी अनुभूतियों का बहुत सुंदर प्रयोगबेहतरीन शिल्पउत्कृष्ट रचनाबधाई
रे! रीढ़ की भी अपनी इक अलहद कीमत तो हैवाह!!!
सभी शेर बहुत उम्दा, बहुत खूब, बधाई.
बहुत बहुत सुंदर
सुभानअल्लाह..
आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर
khoobshurat prastuti,"khwabon ki murat ho, khayalon ki surat ho,
ReplyDeleteवाह वंदना जी....
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल......
उम्दा शेरों से सजी.
अनु
सार्गभित, प्रशंसनिये.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना, आभार
सार्गभित सुन्दर रचना..
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल वंदना जी
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बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल ,बधाई वन्दना जी,,,
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बेहतरीन और अदभुत अभिवयक्ति....
ReplyDeleteखूब..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteबहुत खूब ... नए अंदाज़ के शेर हैं सभी ... लाजवाब ..
ReplyDeleteनयी अनुभूतियों का बहुत सुंदर प्रयोग
ReplyDeleteबेहतरीन शिल्प
उत्कृष्ट रचना
बधाई
रे! रीढ़ की भी अपनी इक अलहद कीमत तो है
ReplyDeleteवाह!!!
सभी शेर बहुत उम्दा, बहुत खूब, बधाई.
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुभानअल्लाह..
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