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Monday, February 4, 2013

तपस्विनी तू



सांय सांय गूंजेगी

आंगन में तेरी प्रार्थनाएं

तेरे मन्त्र

बाँधा था कवच

कीला था काल

अनगिनत

अदृश्य ताबीजों में

तेरे आशीष

तेरी दुआओं से

सराबोर

मेरी रूह

तुझे बुलाना चाहती है

मनीप्लांट चुपचाप 

लिए बैठा है मंजीरे


तुलसी

तेरी मौन तपस्या में

स्वर मिलाना चाहती है

कहाँ सो रही है

चिरनिद्रा में लीन 

सनातन

शाश्वत 

तपस्विनी तू   

( श्रद्धा सुमन नानी के लिए )

13 comments:

  1. आखें नम हुईं पढ़कर ...... श्रद्धा सुमन

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  2. इतना सुन्दर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया है आपने .नानी जी को नमन..

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  3. हर श्रद्धा सुमन सुवासित

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  4. रचना के माध्यम से नानी जी को सुंदर श्रद्धान्जली,,,
    नमन,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  5. खूबसूरत श्रद्धा सुमन का गुलदस्ता ।

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  6. बहुत सुन्दर रचना

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  7. भावभीने शब्द-पुष्पों के माध्यम से ममत्व का कृतज्ञ स्मरण !

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  8. हर शब्द श्रद्धा के अनुपम.नानी को विनम्र नमन.

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  9. दिल को छू गई आपनी अभिव्यक्ति ...
    जिनको चाहता है मन उनको पुकारता है मन ...

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  10. अदभुत--बहुत सुंदर
    बहुत बहुत बधाई

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  11. दिल के सुन्दर भावों को लिए ...
    श्रद्धा सुमन व नमन मेरी तरफ से नानीजी के लिए !

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  12. हर शब्द श्रद्धा के अनुपम.नानी को विनम्र नमन.

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आपकी बहुत बहुत आभारी हूँ कि अपना बहुमूल्य समय देकर आपने मेरा मान बढाया ...सादर