अब आँसू को गिरवी रखना होगा
हर दर्द सलीके से जीना होगा
बार बार उधड़े सीवन रिश्तों की
धागे कमजोर सही सीना होगा
रौंदी जाए जब पावनता तेरी
पुनर्नवा बन फिर से उठना होगा
तुलसी की महक न पहचाने कोई
उसे हर हाल कैक्टस होना होगा
हौसला मन में हाथों पतवार हो
पार हर भँवर से सफीना होगा
तुम ना जीना यूँ अमरबेल बन के
जग हिमाकत समझे (पर ) संवरना होगा
तुलसी की महक न पहचाने कोई
ReplyDeleteउसे हर हाल कैक्टस होना होगा
बहुत सुंदर हर पंक्ति गजब की हमें तो यह अच्छी लगी बधाई .......
तुम ना जीना यूँ अमरबेल बन के
ReplyDeleteजग हिमाकत समझे (पर ) संवरना होगा..bhaut hi khubsurat...
गहन भावों को संजोये ..सुन्दर गज़ल
ReplyDeleteअति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए
ReplyDeleteआभार वंदना जी.
मेरे ब्लॉग पर आपका आना अच्छा लगता है.
समय निकालकर फिर आईयेगा.
भक्ति व शिवलिंग पर अपने सुविचार
प्रस्तुत करके अनुग्रहित कीजियेगा.
bahut khoob.sunder prastuti.
ReplyDeleteतुलसी की महक न पहचाने कोई
ReplyDeleteउसे हर हाल कैक्टस होना होगा
ek dukhad sthiti
तुम ना जीना यूँ अमरबेल बन के
ReplyDeleteजग हिमाकत समझे (पर ) संवरना होगा
बेहद उम्दा कविता।
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कल 29/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अब आँसू को गिरवी रखना होगा
ReplyDeleteहर दर्द सलीके से जीना होगा
सुन्दर ग़ज़ल .
बहुत अच्छी प्रस्तुति है । नवगीत पर टिप्पणी के लिये आभार ।
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल के लिए आपको बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.......सार्थक और नव उर्जा देती ये पोस्ट बहुत शानदार है..........फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
ReplyDeleteअति सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए
ReplyDeleteआभार.....
भावपूर्ण प्रस्तुति .
ReplyDeleteबार बार उधड़े सीवन रिश्तों की
ReplyDeleteधागे कमजोर सही सीना होगा ...........
गहन भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeletebahut sunder :)
ReplyDeleteहा हा हा इसे कहते हैं जवां मर्दों सा जीना.अब जवान मर्दों शब्द को सहजता से लेना.बंदिशे रही है तो हमारे लिए.जिंदगी को बोल्द्ली जीते तो ये ही है ..बेशक.
ReplyDeleteरिश्तों को सीने का माद्दा हमी को दिया है ईश्वर ने इसीलिए परिवार...रिश्ते जिन्दा हैं अब तक.और.....इसमें कोई हर्ज भी नही समझती मैं.दुनिया में ईश्वर की बनाई दो रचनाओं -स्त्री और पुरुष- में से एक हम हैं बाबु!
और....हमे एक खूबसूरत दिल बना कर भेजा है 'उसने' जिसकी झलक में तुम्हारी रचनाओं में देख रही हूँ.
प्यार
तुम ना जीना यूँ अमरबेल बन के
ReplyDeleteजग हिमाकत समझे (पर ) संवरना होगा
..bahut badiya hausala badhti saarthak rachna..
haardik shubhkamnayen..
सुंदर रचना वन्दना जी बधाई और शुभकामनायें
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