पथ अंधेरे लग रहे मुझको सभी
मां मेरी रहबर रही तू ज्योत सी
ख्वाहिशें खिलती थी तेरी गोद में
रिक्त लेकिन अब है मेरी अंजुरी
तू अथक ही जागती थी रात दिन
ख्वाब मेरे सींचे तूने हर घड़ी
याद करती हैं तुझे फुलवारियां
मुस्कुराहट बिन तेरी सब सूखती
भाग्य ने छीना है कैसे मान लूं
पुष्पगंधा तू सदा मन में बसी
धुन नयी देती रही तू जोश को
माधुरी घोले रही बन बांसुरी
मां कहां है लौट आ फिर से जरा
दूरियां निस्सीम कैसी बेबसी
मां को समर्पित