पटाखों पर बैन को
लेकर बहुत से लोग इसे हिंदुत्व के विरोध में बता रहे हैं | इन दिनों लोगों की कुछ
मुद्दों पर प्रतिक्रियाएं पढ़कर बार बार यह प्रश्न मेरे मन में उठ रहा है कि
हिंदुत्व आखिर है क्या ? मेरी अल्पबुद्धि तो अपने हिंदुत्व को इतना ही समझ पाई है
कि यदि मैं राम के आदर्शों पर कुछ दूर भी चल सकूँ तो हिंदुत्व के गौरव की रक्षा
में मेरा योगदान रामसेतु निर्माण में गिलहरी के मुट्ठी भर रेत के योगदान जैसा तो
हो ही जाएगा |
भाई के लिए सम्पूर्ण
राज्य का त्याग करने वाले राम शायद आज उन भाइयों से पूछना चाहते होंगे कि क्यों
तुम छोटी छोटी बातों को लेकर नित्य न्यायालयों में जूझने चल देते हो ? आओ मुझे
मानते हो तो कुछ त्याग करके दिखाओ |
आज राम पूछना चाहते
होंगे कि-
जरा बताओ तो क्या तुम
छुआछूत छोड़ चुके हो मैनें तो माँ शबरी के जूठे खाते वक़्त एक बार भी नहीं पूछा कि
तुम्हारी जाति क्या है , क्या तुम सहज ऐसा कर पाओगे ?
माँ कैकेयी के आदेश
को जिस तरह मैनें शिरोधार्य किया क्या तुम अपनी माँ के आदेश का मान बिना कोई
प्रश्न किये रख पाते हो ?
जिस तरह मैनें
सुग्रीव नल नील हनुमान और अंगद को नेतृत्व का मौका दिया क्या तुम अपने सहयोगियों
अपने छोटे भाई बहनों को आगे बढ़ने का मौका देते हो ?
क्या अपने भाई को
इतना प्रेम देते हो कि वो तुम्हारी अनुपस्थिति में भी तुम्हारे हिस्से की रक्षा
मेरे अनुज भरत की तरह कर सके ?
क्या तुम में इतनी
उदारता है कि अपने विरोधी के दुष्प्रयासों को निष्फल करने के बाद भी उसके ज्ञान का
आदर कर सको ?
क्या इतना साहस जुटा
पाओगे कि देश के हितार्थ सेवार्थ दो जोड़ी कपड़ों में चल पड़ोगे ?
अगर वाकई इतना साहस
है तो अपने बीमार भाई बहनों के स्वास्थ्य हित चिंतन से तुम्हारा हिंदुत्व किसी
दृष्टि से कमजोर नहीं होगा |
प्रदूषण संबंधी
बयानों में गाड़ियों के प्रदूषण संबंधी बात की जा रही है हाँ एक उपाय ऑड-इवन नंबर
वाला कुछ हद तक कारगर हुआ था तो क्यों न बिना किसी विरोध के हम उसे अपना लें |
हाँ बिलकुल मैं इस
बात से सहमत हूँ कि नववर्ष , शादी ब्याह जैसे मौकों पर भी पटाखे और कानफोडू डीजे
से दूर रहना जरुरी है |
प्रदूषण कारखानों से
भी फैलता है अगर अनावश्यक खरीदारी को संयमित कर सकें तो इस पर भी अंकुश लग सकेगा |इस
संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गयी थी कि पटाखों के लिए
दिवाली और चार दिन की ही इजाजत हो साथ ही
पटाखे चलाने के लिए कोई स्थान निर्धारित हो और शाम 7 बजे से नौ बजे तक का समय हो
|सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में पुरानी गाइड लाइन को ही मानने के आदेश जारी किये
हैं जिसमें वर्ष २००५ में सुप्रीम कोर्ट ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच रोक
लगाईं थी |ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका तो दुष्यंत जी सोच की तरह बिलकुल
स्पष्ट है कि
“सिर्फ हंगामा खड़ा
करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि यह
सूरत बदलनी चाहिए”
जिस दिन अपने भाईयों
और बहनों के प्रति हमारी सोच इतनी उदारता पूर्ण होगी कि हम यह समझ लें कि श्री राम का प्रत्येक संकेत ,चेष्टा और प्रसन्नता
भारत के राज्याभिषेक के लिए थीं और भरत की सारे प्रयास श्री राम के राज्याभिषेक के
लिए थीं और हमें इनका अनुकरण करना है तो हिंदुत्व और हमारी संस्कृति को कोई हानि नहीं पहुंचा सकेगा |